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पितृ-दोष : लोगों को डरा कर पैसे लूटने का एक आसान तरीका है

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पितृ-दोष : लोगों को डरा कर पैसे लूटने का एक आसान तरीका है

आजकल ज्योतिष शास्त्र के दो अक्षर पढकर खुद को प्रकांड ज्योतिष समझने वाले कुछ तथाकथित ज्योतिषी भोले-भाले मासूम लोगों से पैसे ऐंठने के लिए कालसर्प और पितृ-दोष जैसे नए-नए दोषों का अविष्कार करते रहते हैं। इन दोषों का भय दिखाकर ये ज्योतिषी लोगों से कई तरह के पूजा-पाठ कराने के नाम पर पैसे ऐंठते रहते हैं। जब हमारे संवाददाता ने पंडित पंकज मिश्रा जी से इस बारे में बात किया तो उन्होने पितृ-दोष को पूरी तरह से झूठा और भ्रामक बताया और उसकी पोल खोल कर रख दिया। आइए जानते हैं पंडित पंकज मिश्रा जी से पितृ-दोष की सच्चाई के बारे में।

पितृ-दोष : लोगों को बरगलाने का एक आसान तरीका 

पितृ-दोष
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पिछले कुछ वर्षों में ज्योतिषयों ने पितृ-दोष के नाम पर लोगों को बहकाना शुरू कर दिया है। मजे की बात ये है कि पितृ-दोष को समझने व पकड़ने की क्षमता कुछ इन-गुने त्रिकालज्ञों में ही होती है। इन पोंगा पण्डितो ने इस भ्रामक दोष का अविष्कार करके उसे धनोपार्जन का एक बडा अस्त्र बना लिया है। नारद के भक्ति-सूत्र में ये स्पष्ट कहा गया है कि भगवान भजन करने वाले पुरुष के पितृ-गण प्रमुदित होकर नाच उठते है। पृथ्वी माता अपने को धन्य मानती है। नारद-भक्ति-सूत्र से -

कण्ठावरोधरोमाञ्चाश्रुभि: पस्परं लपमाना: पावयन्ति कुलानि पृथिवीं च ॥ ६८ ॥

भावार्थ - ऐसे अनन्य भक्त कण्ठावरोध, 'रोमांच और अश्रुयुक्त नेत्रवाले होकर परस्पर सम्भाषण करते हुए अपने कुलों को और पृथ्वी को पवित्र करते हैं।

तीर्थीकुर्वन्ति तीर्थानि, सुकर्मीकुर्वन्ति कर्माणि, सच्छास्त्रीकुर्वन्ति शास्त्राणि ॥ ६८ ॥

भावार्थ - ऐसे भक्त तीर्थों को सुतीर्थ, कर्मों को सुकर्म और शास्त्रों का सत-शास्त्र कर देते हैं।


तन्मयाः ।। ७० ।।

भावार्थ - (क्योंकि) वे तन्मय हैं।


मोदन्ते पितरो नृत्यन्ति देवताः सनाथा चेयं भूर्भवति ॥69॥

भावार्थ - (ऐसे भक्तों का आविर्भाव देखकर) पित्तरगण प्रमुदित होते हैं, देवता नाचने लगते हैं और यह पृथ्वी सनाथा हो जाती  है।
ऊपर के श्लोक पढकर ये बात साफ हो जाता है कि पित्तरगण अपने परिजनों को देखकर आनन्दित होते हैं न कि उनसे रूष्ट होकर उन्हे परेशान करते हैं। अगर आप खुश हैं तो वो खुश होते हैं, अगर आप दु:खी हैं तो वो दु:खी होते हैं। इसलिए आप सभी से मैं यही कहना चाहूँगा कि इन तथाकथित ज्योतिषियों के बहकावे में न आएं और हमेशा अच्छे कर्म और भगवद भक्ति करते रहें। इससे आपके पित्तर हमेशा आपसे प्रसन्न रहेंगे।

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