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नए संसद भवन का भारत के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, जानिए पंडित पंकज मिश्रा जी से

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नए संसद भवन का भारत के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, जानिए पंडित पंकज मिश्रा जी से

28 मई 2023 का दिन भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। इसी दिन भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया। इस संसद भवन को लेकर कई तरह की बातें की गई। बहुत सारे लोगों ने इसके पक्ष में भी बातें की तो कुछ लोगों ने इसके खिलाफ भी बोला। कुछ लोगों को नए संसद भवन का डिजाइन पसंद नहीं आया तो कुछ लोगों को नया संसद भवन बनाना फिजूलखर्ची लगी।
नए संसद भवन
Credit: Image Source
यही भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि यहाँ हर व्यक्ति अपनी बात रख सकता है। वैसे यह सदियों से परंपरा चली आ रही है कि जब भी कोई शुभ काम होने वाला होता है तो कुछ लोग उसके पक्ष में साकारात्मक तो कुछ लोग उसके विपक्ष में नाकारात्मक बातें करते हैं। लेकिन हम इस आर्टिकल में नए संसद भवन का ज्योतिषिय दृष्टि से अवलोकन करने वाले हैं। हम नए संसद भवन के उदघाटन का दिन और समय के हिसाब से यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत के भविष्य पर इसका क्या असर पड़ेगा।

नए संसद भवन का उद्घाटन ज्योतिषिय दृष्टि से

नए संसद भवन                       लग्न कुंडली


नए संसद भवन
                             नवांश कुंडली
अंग्रेजी कैलेंडर की दृष्टि से देखें तो नए संसद भवन का उद्घाटन दिनांक 28 मई 2023 दिन रविवार दोपहर 12 बजे हुआ है। वहीं अगर हिंदू पंचांग के अनुसार देखें तो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को संसद भवन का उद्घाटन किया गया है। यह रविवार का दिन है। इस दिन चंद्र, सिंह राशि तथा पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा। इस दिन देश के इस सबसे महत्वपूर्ण इमारत के उद्घाटन का प्रभाव भविष्य में भारत पर निम्नलिखित होगा। 1) उद्घाटन का दिन रविवार का दिन चुना गया है जो कि मुहूर्त के हिसाब से शुभ माना जाता है। 2) ज्येष्ठ मास किसी भी स्थिर कार्य को करने के लिए शुभ माना जाता है। 3) चंद्र सिंह राशि तथा शुभ नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी में है जो कि प्रधानमंत्री के जन्म चंद्र राशि वृश्चिक से दशम भाव में है। 4) किसी भी भवन, राष्ट्र या संसद के निर्माण में स्थिर लग्न होना चाहिए जो कि सिंह लग्न है तथा इसका स्वामी सूर्य दिग्बल होकर दशम भाव में है जो यह दर्शाता है कि भविष्य में अन्य देशों के संसद को बनाने में इस संसद भवन का प्रारूप लिया जाएगा। 5) लग्न में चंद्र की उपस्थिति तथा बृहस्पति एवं शनि दोनों की दृष्टि संसद की सुंदरता में चार चांद लगा रहा है। 6) जन्म लग्न तथा चंद्र लग्न का एक होना अपने आप में एक राज योग होता है जो कि इसके संसदीय कार्य को करने में ढृढ़ता तथा निश्चय को एक होना दर्शा रहा है। 7) सप्तम भाव में बने शश नामक पंचमहापुरुष योग जो शनि के द्वारा बन रहा है तथा जिसकी दृष्टि चंद्रमा पर है यह दर्शाता है कि आने वाले समय में संसद द्वारा किया जाने वाला कार्य अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों के लिए होगा। 8) नवम भाव में बन रहे धन योग तथा उसमें स्थित राहु का होना इस बात की तरफ इंगित कर रहा है कि आर्थिक मामलों में देश की संसद कुछ अप्रत्याशित कार्य कर सकती है। 9) पंचमेश का नवम भाव में जाना तथा एकादशेश के साथ योग दर्शाता है कि इस संसद में भविष्य में आने वाले सदस्य उच्च शिक्षित तथा अपने क्षेत्र में सफलता अर्जित करने वाले होंगे। 10) नवम भाव में तीन ग्रहों की स्थिति तथा शनि की दृष्टि कुल चार ग्रहों का प्रभाव विश्व गुरु बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोग देगा। क्योंकि भारतवर्ष के लग्न कुंडली में भी मंगल की महादशा 2025 से आने वाली है जो पंचम भाव तथा नवम भाव दोनों को देख रहा है जो कि प्रतिष्ठा का भाव है।

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